लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण

२-खुशियों ने दी दस्तक -

सौंदर्या की जन्म से घर में खुशियां छा गई, परंतु सौंदर्या के जन्म से पहले उसके माता-पिता ने क्या क्या सहा। मैं आपको बताती हूं -

 सौंदर्या की मां को 22 दिन बाद जब डॉक्टर ने बुलाया था तो श्रेया और श्रवण दोनों 22 दिन बाद जब डॉक्टर के यहां जाने के लिए तैयार हुए। तब श्रवण की माताजी ने श्रेया को भला बुरा कहना शुरू कर दिया। 

 उन्होंने ताना मारते हुए कहा , ‘’  यह फालतू के चोचले मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है, और यह डॉक्टर के यहां जाकर पैसा बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है। क्या हमने बच्चे पैदा नहीं किए थे। यह रोज-रोज डॉक्टर के यहां जाना,पैसे बर्बाद करना, यह सब फालतू की चीजें हैं।

 श्रेया की सासु जी के शब्दों पर  रोक नहीं लग रही थी। श्रेया टप टप  आंसूओं से रोए जा रही थी। 

तब तक श्रवण के पिताजी ने भी बोलना शुरु कर दिया। और कहा  ‘ जवानी का जोश है, जो पैसा बर्बाद कर रहे हो किसी की बात नहीं सुनते हो। ऐसे पैसा बर्बाद करने से कोई औलाद नहीं हो जाएगी। औलाद भगवान देते हैं, और जिसको होनी  होती है, उसको हो जाती है। व्यर्थ में पैसा बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। 

परिवार में माहौल खराब होता चला जा रहा था।तभी श्रवण को  एक उपाय सूझा। श्रवण  ने अपने माता-पिता को शांत किया और कहा , ‘’ हम लोग कहीं नहीं जा रहे हैं। हम तो सिर्फ भगवान के दरबार में एक दुआ मांगने जा रहे हैं। भगवान की प्रार्थना करने जा रहे हैं,  शायद उनकी दुआ से हमारे घर में औलाद  हो जाए ।इतना सुनकर श्रवन के माता पिता का क्रोध ठंडा हो गया। और उन्होंने श्रेया और श्रवण को मंदिर जाने की इजाजत दे दी। फिर क्या था। श्रेया और श्रवन खुशी से डॉक्टर के यहां पहुंचे। उनके लिए तो वह डॉक्टर ही देवता के समान थे। डॉक्टर ने चेकअप किया और श्रवण को बताया कि श्रेया गर्भवती है।यह समाचार सुनकर श्रवण के मन में लड्डू फूटने लगे।

अब तो श्रवण अपनी पत्नी का बहुत अधिक ध्यान रखने  लगने लगा था। हर पल श्रेया के आसपास रहता। उसकी हर खुशी का ख्याल रखता उसके खाने-पीने का ध्यान रखता है, उसकी दवाओं का ध्यान रखता। उनका एक एक दिन गिन गिन के कटता था। 

यह तो पहले दिन की बात हुई दूसरे दिन श्रेया सुबह उठी तो श्रवण चाय लिए हुए उसके सामने तैयार खड़ा था। श्रेया को यह देखकर बहुत हंसी आई। 

श्रेया ने... श्रवण को छेड़ कर कहा- ओ हो पापा जी। श्रवण ने कहा- मैं तो यह शब्द सुनने के लिए कब से तरस रहा हूं। कि कोई मेरे जीवन में नन्हा मेहमान आए,और मुझे पापा जी.... कहे। अब यह मुराद हमारी पूरी होने वाली है, इसलिए हमें बहुत ध्यान से सारी चीजों को समझना होगा और सतर्कता बरतनी होगी। 

अब श्रेया और श्रवण दोनों बहुत खुश रहने लगे थे।साथ साथ ऑफिस जाते शाम को साथ में ऑफिस से लौट कर आते, आकर हंसी खुशी घर में खाते पीते और सपनों की दुनिया... में विचरण करते हुए सो जाते।
 जब भी श्रवण और श्रेया ऑफिस में अपनी उसी साथी से मिलते तो हमेशा उसको आभार व्यक्त करते। क्योंकि जो दिन आज श्रेया और श्रवन की जिंदगी में आया है, उसी साथी की वजह से है। अब  जब भी उन्हें चेकअप के लिए जाना होता तो माता-पिता से मंदिर जाने का बहाना करके ही जाते थे। माता-पिता भी मंदिर जाने के लिए कभी मना नहीं करते थे। लगभग महीने में एक बार रूटीन चेकअप के लिए श्रेया और श्रवन डॉक्टर के यहां जाते थे। तो माता-पिता से कहते.... कि हम मंदिर जा रहे हैं। लौट कर आते तो कुछ मिठाई लेते आते जिससे माता-पिता को लगता के मंदिर गए थे। तो प्रसाद चढ़ाया होगा। लेकिन श्रेया और श्रवण और बहुत खुश थे, इसलिए मिठाई लाना तो स्वाभाविक था।

अब श्रेया का दो महीना पूर्ण हो चुका था। परंतु अभी तक श्रेया और श्रवण ने माता-पिता को यह खबर नहीं दी थी।क्योंकि वह चाहते थे कि सारी चीजें ठीक हो जाए तभी वह माता-पिता को बताएं। डॉक्टर के अनुसार तीन महीने तक थोड़ा रिस्क था। तीन महीने पूरा होने के बाद ही अपने माता-पिता को बताएंगे। ऐसा मन में सोचा हुआ था। भगवान की दुआ से सब ठीक ठाक चलता रहा। 

अब तीसरी बार मंदिर जाने की बारी आ गयी, इसलिए आज घर से निकलते हूए सोचा था कि लौटकर आज माता-पिता को यह खुशखबरी जरूर सुनाएंगे।घर से तैयार होकर निकले तो पहले शिव मंदिर गए। वहां से डॉक्टर के यहां.... डाॅ के यहां से लौटकर मिठाई के डिब्बे.. के साथ श्रवण ने.. यह  खुशखबरी... अपने माता-पिता को सुनाई और दोनों ने उनके पैर छुए। श्रवन ने बताया- कि आप जल्द ही दादा दादी बनने वाले हैं।

यह खबर सुनते ही माता पिता खुशी से फूले न समाए। उन्होंने श्रेया के माथे को चूम लिया और बहुत सारी दुआएं दी। आज श्रवण के माता-पिता  बहुत खुश हुए। अपने बच्चों को दुआएं दी। आज उनके मन में बहू के लिए कोई मैल नहीं रह गया था।और बहू का ध्यान रखने के लिए सभी तत्पर हो गए। 

धीरे-धीरे समय गुजरने लगा और चौथा महीना पूरा हुआ।इस बार श्रेया की सासू मां अपने साथ श्रेया को लेकर डॉक्टर के यहां गई। डॉक्टर से श्रेया का सारा हालचाल पूछा - और यह भी कहा.... ‌ कि सब कुछ ठीक है कोई परेशानी की बात तो नहीं है। डॉक्टर ने कहा..... कि सब कुछ ठीक है। और आप बहुत जल्द दादी बनने वाली है। यह सुनकर श्रवन की मां और श्रेया की सासु मां बहुत खुश हुई । 

अब तो हर दिन  श्रेया की सासु मां श्रेया का बहुत ध्यान रखती। ऑफिस जाते समय हिदायतें  देती। बेटे को समझाती कि उसका पूरा ध्यान रखेगा। अब तो उनके घर में हर दिन खुशी से गुजरने लगा था। धीरे-धीरे पांचवा महीना पूरा होने के बाद श्रेया की सासु मां ने अपने मन में कुछ विचार किया, कि सातवें महीने में कुछ किया जाए। और उन्होंने श्रेया से कहा-कि जब सात महीने पूरे हो जाएंगे तो हम घर में खुशी से एक जश्न मनाएंगे। सभी पास पड़ोसियों और रिश्तेदारों को उस जश्न में बुलाएंगे। वह जश्न तुम्हारी गोद भराई का जश्न होगा। और सभी को यह सूचना भी देंगे कि हमारी श्रेया मां बनने वाली है। खुशी से नाचेंगे गाएंगे झूमेंगे हम खुशियां मनाएंगे।

खुशी में कब समय गुजर जाता है पता ही नहीं चलता। कब सातवां महीना आ गया किसी को पता भी नहीं चला। और अब सातवां महीना पूरा होने को है तो श्रेया की गोद भराई का प्रोग्राम तय किया गया और सभी नाते रिश्तेदारों को पास पड़ोसियों को बुलाया गया,और धूमधाम से गोद भराई का प्रोग्राम बनाया गया। सभी ने श्रेया को बधाइयां दी, और स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की दुआएं दी।



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11 Comments

Gunjan Kamal

26-Sep-2022 05:32 PM

बेहतरीन

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Astha Singhal

15-Sep-2022 09:38 AM

अच्छी जा रही है कहानी 👌

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Seema Priyadarshini sahay

03-Sep-2022 02:13 PM

बहुत खूबसूरत

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